Sunday, December 28, 2008

मानव सेवा के संदेश वाहक स्वामी राम



देव भूमि उत्तरांचल के पौडी जनपद के तोली गांव में सन 1925में जन्मे स्वामी राम के हृदय में अध्यात्म के बीज बचपन से मौजूद थे। बचपन में ही स्वामी जी दीक्षा लेकर अपने गुरु के साथ हिमालय की तरफ निकल गए। उनके गुरुदेव ने स्वामी जी को अनेक यौगिक क्रियाओं में पारंगत किया। स्वामी जी को उनके गुरुदेव द्वारा हिमालय के अन्य योगियों तथा सिद्ध पुरुषों के पास प्राचीन शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा। चौबीस वर्ष की अल्पायु में ही उन्हें मध्य भारत के करवीर पीठ में शंकराचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किया गया।

स्वामी जी ने हिमालय की गुफाओंमें गहन साधना करने के लिए इस पद का परित्याग कर दिया। साधना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के पश्चात उनके गुरुदेव ने उन्हें यौगिक अभ्यास पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्यान देने के लिए जापान व पश्चिमी देशों में भेजा। मैनेजर फाउंडेशन टोपिका,केंसास(यूएसए) में स्वामी जी ने हृदयगति, शरीर का तापमान व मस्तिष्क तरंगों जैसी अनैच्छिक दैहिक क्रियाओं को मन के द्वारा नियंत्रित करने की क्षमता का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से विश्व भर के चिकित्सक व वैज्ञानिक आश्चर्यचकित थे।

स्वामी जी ने अपने योग दर्शन और आध्यात्म के बल पर अमेरिका में हिमालयन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ योग एंड फिलासफी की स्थापना की जो आज भी समूचे विश्व में स्वामी जी के योग दर्शन एवं आध्यात्म का साहित्य उपलब्ध कराने का मुख्य स्त्रोत है। उन्होंने भारतीय योगदर्शन का परिचय पूरी दुनिया से कराया और अनेक देशों में हिमालयन इंस्टीट्यूट की शाखाओं की स्थापना की। संयुक्त राष्ट्र में स्वामी जी का कार्य तेइस वर्ष तक जारी रहा। अमेरिका में स्वामी जी एक योगी, शिक्षक, वैज्ञानिक, दार्शनिक, कवि, मानवतावादी व विश्व प्रेमी के रूप में पहचाने गए। उनके प्रतिरोधात्मकऔषधियां समग्र स्वास्थ्य एवं तनाव प्रबंधन के मॉडल ने पश्चिमी चिकित्सा जगत की मुख्यधारा में स्थान पाया है। जीवन के उद्देश्य के बारे में स्वामी जी कहते थे कि जीवन का उद्देश्य दु:खों एवं कष्टों से मुक्ति पाना है। अपने जीवन काल में स्वामी जी किसी धर्म विशेष का प्रचार न करते हुए संपूर्ण जीवन मानव उत्थान के लिए कार्य करते रहे।

स्वामी जी का सिद्धांत है, देवो देवालय प्रोक्त: जीवों देव सनातन अर्थात मनुष्य का शरीर मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघरोंसे ऊंचा है, क्योंकि इस शरीर में निवास करने वाली आत्मा ही देवता है। मनुष्य की पूजा न कर, पूजा स्थलों में जाकर झुकना पाखंड है।

ट्रस्ट का मिशन है-स्वास्थ्य सुविधाओं में विकास के एकीकृत एवं मितव्ययी साधनों को विकसित करना जो कि आसपास की गरीब जनता के अनुरूप हो तथा जो देश व विश्व के लिए एक मॉडल के रूप में बन सके।

एचआईएचटीकी स्वास्थ्य सुविधाओं चिकित्सा शिक्षा एवं शोध में समग्र नीति अपनाई जाती है जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं की पारम्परिक पद्धतियां पूरक औषधियां तथा आधुनिक तकनीक शामिल हैं। एचआईएचटीनवनिर्मित राज्य उत्तरांचल में स्थित है। उत्तरी भारत के लाखों लोगों के लिए जिन्हें, थोडी अथवा कुछ भी स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध नहीं थी, स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के साहसी विचार ने 1991में एक छोटे से वाह्य रोगी विभाग के साथ आकार लेना आरंभ किया।

आज यह एक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य नगरी एवं शैक्षिक परिसर है, जिसमें अत्याधुनिक उपकरणों व विशेषज्ञों युक्त एक वृहद अस्पताल समग्र स्वास्थ्य कार्यक्रम, मेडिकल कालेज, नर्सिग स्कूल, ग्रामीण विकास संस्थान तथा कर्मचारियों विद्यार्थियों एवं रोगियों के परिवारों के रहने हेतु आवास व्यवस्था सम्मिलित है।

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